हिंदी दिवस कुछ रोचक तथ्य -
1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गांधीजी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।
हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया और 14 सितम्बर 1949 को उनका 50-वां जन्मदिन था।
राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
(संकलन अंजू आनंद )
बोलने वालों की संख्या के अनुसार हिंदी, अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद पूरे दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है।
हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द सिंधु से माना जाता है।
हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है।
करीब 70 करोड़ लोग अकेले भारत में हिंदी बोलते हैं। बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान में भी हजारों लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। यही नहीं, फिजी, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद जैसे देश तो हिंदी भाषियों के ही बसाए हुए हैं।
फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात की जनता भी हिन्दी बोलती है।
एक तरह से देखें तो हिंदी समाज की जनसंख्या लगभग एक अरब का आंकड़ा छूती है।
1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गांधीजी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।
हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया और 14 सितम्बर 1949 को उनका 50-वां जन्मदिन था।
संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी।
राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
परन्तु विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था इसी लिए इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
14 सितम्बर 1949 को स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है:
"संघ की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।"
14 सितम्बर 1949 को स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है:
"संघ की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।"
हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन खेदजनक बात यह है कि हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन भी नहीं जुटाया जा सका।
फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिन्दी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली।
फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिन्दी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली।
आज हिन्दी दिवस के दिन भी ट्विटर और फेसबुक जैसे सामाजिक माध्यमों (सोशल मीडिया) पर हिन्दी को आंगल भाषा की वर्तनी प्रयोग कर शुभकामनाये लिखी जा रही हैं।
यहाँ तक कि वाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत ही खस्ता हाल में है।
यहाँ तक कि वाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत ही खस्ता हाल में है।
अमर उजाला भी लगातार लोगों से विनती करता आया है कि कम से कम हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में ट्वीट करें।- (संकलन अंजू आनंद)
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः ।
(अंजु आनंद)