हिंदी दिवस कुछ रोचक तथ्य

हिंदी दिवस कुछ रोचक तथ्य -
(संकलन अंजू आनंद )

 हिन्दी शब्द का सम्बंध संस्कृत शब्द सिंधु से माना जाता है।


 हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है।

 बोलने वालों की संख्या के अनुसार हिंदी, अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद पूरे दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है।

 करीब 70 करोड़ लोग अकेले भारत में हिंदी बोलते हैं। बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, अफगानिस्तान में भी हजारों लोग हिंदी बोलते और समझते हैं। यही नहीं, फिजी, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद जैसे देश तो हिंदी भाषियों के ही बसाए हुए हैं।

 फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात की जनता भी हिन्दी बोलती है।

 एक तरह से देखें तो हिंदी समाज की जनसंख्या लगभग एक अरब का आंकड़ा छूती है।

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 1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गांधीजी ने हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।

 हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया और 14 सितम्बर 1949 को उनका 50-वां जन्मदिन था।

 संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी।


 राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 परन्तु विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था इसी लिए इस दिन को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

 14 सितम्बर 1949 को स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1) में इस प्रकार वर्णित है:
"संघ की राष्ट्रभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।"

 हिन्दी को आज तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका है। योग को 177 देशों का समर्थन मिला, लेकिन खेदजनक बात यह है कि हिन्दी के लिए 129 देशों का समर्थन भी नहीं जुटाया जा सका।

 फरवरी 2019 में अबू धाबी में हिन्दी को न्यायालय की तीसरी भाषा के रूप में मान्यता मिली।

 आज हिन्दी दिवस के दिन भी ट्विटर और फेसबुक जैसे सामाजिक माध्यमों (सोशल मीडिया) पर हिन्दी को आंगल भाषा की वर्तनी प्रयोग कर शुभकामनाये लिखी जा रही हैं।

 यहाँ तक कि वाराणसी में स्थित दुनिया में सबसे बड़ी हिन्दी संस्था आज बहुत ही खस्ता हाल में है।

 अमर उजाला भी लगातार लोगों से विनती करता आया है कि कम से कम हिन्दी दिवस के दिन हिन्दी में ट्वीट करें।- (संकलन अंजू आनंद) 
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-- ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः । (अंजु आनंद)

Sanskrit Subhashitani

 यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः। 
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
--चाणक्य नीति श्लोक



--- ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः । (अंजु आनंद)

आश्वयुज शुक्लदशमी / विजयदशमी

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सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोSस्तु ते॥

Guru Purnima in sanskrit

भारतीयसंस्कृत्यां गुरोरधिष्ठानमदवितीयमिति मन्यते । भारतेऽस्मिन् प्राचीनतमकालात् सर्वैः शिष्यैः गुरुं प्रति सादरं भाति प्रदर्शिता । धौम्यशिष्य आरुणिः, द्रोणाचार्यशिष्य एकलव्यः, रामकृष्णपरमहंसशिष्यवरः विवेकानन्द इत्यादयः गुरुभक्तेः त्यागस्य च श्रेष्ठादर्शा आसन् । अतः प्रतिवर्षम् आषाढपूर्णिमायां सश्रद्धं गुरुपूजनं कर्तव्यमिति प्राचीना परम्परा ।
आषाढशुदधपूर्णिमा गुरुपूर्णिमा व्यासपूर्णिमा वेति कथ्यते । विशालबदधिः श्रीव्यासोऽतीव विद्वान् सर्वश्रेष्ठ आचार्य आसीत् । पुरा किल अध्ययनार्थम् अतिविशालः एक एव वेदराशिरासीत् । किन्तु मानवानामल्पायुः परिमितबदधिसामर्थ्थं चावलोक्य श्रीव्यासो वेदराशिं विभज्य एकैकं वेदराशिं शिष्यमेकैकम् अग्राहयद्, वेदसंरक्षणं चाकरोत् । भगवता श्रीव्यासेनानेन आदौ महाभारतं लिखितं, पश्चादष्टादश पुराणानि रचितानि । सामान्यजनानां मनः शान्त्यर्थं भागवतं चापि विरचितमनेन ।

Subhashita - सुभाषिता

फलों के राजा आम ऋतु की शुभकामनायें

आकर्ण्याम्रस्तुतिं जलमभूत्तन्नारिकेलान्तरं प्रायः 
कण्टकितं तथैव पनसं जातं द्विधोर्वारुकम् | 
आस्तेSधोमुखमेव कादलमलं द्राक्षाफ़लम् क्षुद्रतां 
श्यामत्वं बत जांबवं गतमहो मात्सर्यदोषादिह || 

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aakarNyaamrastutim jalamabhoottannarikeaantaram praayah
kaNTakitam tathaiva panasam jaatam dvidhorvaarukam l
aastedhomukhameva kaadalamalam draakShaaphalam kShudrataam
shyaamatvam bata jaambavam gatamaho maatsaryadoShaadiha l
आम ऋतु की शुभकामनायें 

वस्त्राभूषणम्:- Clothes and jewelry Items in Sanskrit


(1.) माला---हारः
(2.) कङ्कणम्--कंगन
(3.) अंगुलीयकम्--अंगुठी
(4.) नासाभरणम् - नथनी
(5.) नूपुरम्--पायल
(6.) ताटंकः--कर्णफूल
(7.) कुडुपः -- ब्रेसलेट
(8.) पुष्पहारः -- फूलों की माला
(9.) कण्ठभूषा --- गले का आभूषण
(10.) कञ्चुकः -- कुर्ता
(11.) निचोलः -- चादर
(12.) अर्धनिचोलः -- आधा कवर
(13.) शाटिका -- साडी
(14.) युतकम्  / कार्पासक -- कमीज
(15.) वेष्टिः - धोती
(16.) ऊरुकम् -- पैंट
(17.) उपनेत्रम्  --  चश्मा
(18.) कटिपट्टः  --  बेल्ट
(19.) पादरक्षा  --  शैंडिल
(20.) शिरस्रम् -- टोपी
(21.) अङ्गिका -- अँगिया
(22.) अङ्गोच्छः ---अँ गोछा
(23.) पिप्पलः -- आस्तीन
(24.) ऊर्णा -- ऊन
(25.) कटकम् -- कडा
(26.) पटः वस्त्रम् -- कपडा
(27.) करवसनम् -- रूमाल
(28.) आभूषणम् /आभरणम् -- गहना
(29.) गलबन्ध --- गुलूबन्द
(30.) पादत्रम् -- चप्पल
(31.) उपानह् /पादत्राणम्--जूता
(32.) प्रसेवः/ कोशः---जेब
(33.) शीर्षण्यम्--टोपी
(34.) प्रोञ्छनम् /प्रोच्छ- शुद्धिपटः---तौलिया
(35.) नाथः--नथ (नाथ)
(36.) उष्णीषः--पगडी (साफा)
(37.) किङ्किणी---पाजेब (पायल)
(38.) पादयामः--पायजामा
(39.) परिधानम् वेषः--पोशाक
(40.) स्निग्धम् मृदुकम्--मखमल
(41.) माला -- हारः
(42.) पादच्छदः---मौजा जुराब शॉक
(43.) करपटः--रूमाल
(44.) चीनांशुकम् पट्टः पट्टम्---रेशमी
(45.) घर्घरी--लहँगा
(46.) प्रावारकम्--शॉल
(47.) सिचयः सिचयम्---शेरवानी
(48.) पदीनम्--सलवार
(49.) मुद्रिका--अंगुठी
(50.) अर्धोरुकम्--जांघिया (अण्डर-वीयर)
(51.) इत्र---गन्धतैलम्
(52.) प्रच्छपटः--ओढनी
(53.) बृहतिका--- ओवरकोट
(54.) कंघी--प्रसाधनी
(55.) कण्ठाभरणम्---कण्ठा
(56.) कर्णपूरः--कनफूल
(57.) मेखला--करधन
(58.) वर्मन्--कवच
(59.) कज्जलम्--काजल
(60.) कुण्डलम्--कान बाली
(61.) प्रावारः--कोट
(62.) किकिणी--घूँघरु
(63.) अवगुण्ठ्यम्--घूँघट काढना
(64.) माणिक्यम्--चुन्नी (रत्न)
(65.) काचवलयम्--चूडी
(66.) ललाटभरणम्--टिकुली बिन्दी
(67.) ललाटिका--टीका
(68.) उपधानम् उपवर्हः--तकिया
(69.) प्रावृतम्--तहमद (लूँगी)
(70.) तिलकम्--तिलक
(71.) अधोवस्त्रम् धौतवस्त्रम्--धोती
(72.) नक्तकम्--नाइट ड्रेस
(73.) नासापुष्पम्--नाक का फूल
(74.) नेलकटर--नखनिकृन्तनम्
(75.) नखरञ्जनम्--नेल पॉलिश
(76.) चूर्णकम्--पाउडर
(77.) पादुरञ्जकः पादुरञ्जनम्--पॉलिश
(78.) अन्तरीयम्--पेटीकोट
(79.) आप्रपदीनम्--पैण्ट
(80.) केयूरम्--बाजूबन्द
(81.) बिन्दुः--- बिन्दी
(82.) निचोलः--बुरका
(83.) नासाभरणम्--बुलाक
(84.) केयूरम्--ब्रैसलेट बाजूबन्द
(85.) कञ्चुलिका--ब्लाउज
(86.) मुक्तावली--मोती की माला
(87.) एकवेषः एकपरिधानम्--यूनिफॉर्म
(88.) कौशेयम्--रेशमी
(89.) ओष्ठरञ्जनम्--लिपिस्टिक
(90.) स्यूतवरः--सलवार
(91.) शृङ्गारपिटकम्---सिंगारदान
(92.) शृंगारधानम्--सिंगारदान
(93.) सिन्दूरम्--सिन्दूर
(94.) सूत्रम्--सूत (धागा)
(95.) कार्पासम्--सूती
(96.) उपक्षुरम्-- सेफ्टी रेजर
(97.) उर्णावरकम्--स्वेटर
(98.) ग्रैवेयकम्--हँसुली
(99.) त्रोटकम्--हाथ का तोडा (गहना)
(100.) हैमम्

--- ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः । (अंजु आनंद)